भारत की आठ फीसदी आबादी जो सदियों से पर्वतों पहाडों में निवास करती है । यह आबादी प्रकृति पुत्र आदिवासी आजादी के पांच दशकों के बीच जितने शोसित और अपमानित हुए हैं उतना शायद कभी नहीं हुए । यह कैसी विडम्बना है की प्रीतिस्था के मामले में भारत में सबसे स्वाभिमानी समाज आदिवासी समाज की नशा गई गुजरी सी हो जायआदिवासी समाज के सम्सीयाओं से रु बा रु होने के लिए उनका वास्तविकताओं से वाकिफ होना समीचीन होगा । भारत में कमोबेश अनुशुचित जनजातियों को ही आदिवासी मनन गया है , कलान्टर में आदिम जाती , जन जाती, मूल निवासी --------------------------------------
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