March 20, 2009

आदिवासी अपने पहचान के लिए संघर्षरत







भारत की आठ फीसदी आबादी जो सदियों से पर्वतों पहाडों में निवास करती है यह आबादी प्रकृति पुत्र आदिवासी आजादी के पांच दशकों के बीच जितने शोसित और अपमानित हुए हैं उतना शायद कभी नहीं हुए यह कैसी विडम्बना है की प्रीतिस्था के मामले में भारत में सबसे स्वाभिमानी समाज आदिवासी समाज की नशा गई गुजरी सी हो जायआदिवासी समाज के सम्सीयाओं से रु बा रु होने के लिए उनका वास्तविकताओं से वाकिफ होना समीचीन होगा भारत में कमोबेश अनुशुचित जनजातियों को ही आदिवासी मन गया है , कलान्टर में आदिम जाती , जन जाती, मूल निवासी --------------------------------------